टीपू सुल्तान की मृत्यु कब हुई थी?


टीपू सुल्तान का जन्म 20 नवम्बर 1750 को कर्नाटक के देवनाहल्ली (यूसुफ़ाबाद) (बंगलौर से लगभग 33 (21 मील) किमी उत्तर मे) हुआ था। उनका पूरा नाम सुल्तान फतेह अली खान शाहाब था। उनके पिता का नाम हैदर अली और माता का नाम फ़क़रुन्निसा था। उनके पिता हैदर अली मैसूर साम्राज्य के सैनापति थे जो अपनी ताकत से 1761 में मैसूर साम्राज्य के शासक बने। टीपू को मैसूर के शेर के रूप में जाना जाता है। योग्य शासक के अलावा टीपू एक विद्वान, कुशल़ य़ोग़य सैनापति और कवि भी थे।

टीपू सुल्तान का जन्म
टीपू सुल्तान का जन्म 20 नवंबर सन 1750 को देवनहल्ली शहर, जिसे आज के समय में बेंगलौर, कर्नाटका के नाम से जाना जाता है, में हुआ. इनके पिता हैदर अली थे, जोकि दक्षिण भारत में मैसूर के साम्राज्य के एक सैन्य अफसर थे, और माता फ़ातिमा फख्र – उन – निसा थीं. इनके पिता सन 1761 में मैसूर के साम्राज्य के वास्तविक शासक के रूप में सत्ता में आये. इन्होंने अपने रुतबे से मैसूर राज्य में शासन किया. हैदर अली, जोकि खुद पढ़े लिखे नहीं थे, फिर भी इन्होंने अपने ज्येष्ठ पुत्र राजकुमार टीपू सुल्तान को अच्छी शिक्षा देने के बारे में सोचा और उन्हें अच्छी शिक्षा भी दिलवाई.
टीपू सुल्तान की मृत्यु (Tipu Sultan death) –
टीपू सुल्तान की तीसरी बड़ी लड़ाई जोकि चौथा एंग्लो – मैसूर युद्ध था, में 4 मई सन 1799 को मृत्यु हो गई. इनकी मृत्यु मैसूर की राजधानी श्रीरंगपट्टनम में हुई. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने मैसूर पर हमला कर, टीपू सुल्तान को धोखा देते हुए उनकी हत्या कर दी और मैसूर पर अपना कब्ज़ा कर लिया. इनके शव को मैसूर के श्रीरंगपट्टनम शहर (जिसे आज के समय में कर्नाटका कहा जाता है) में दफ़न किया गया. टीपू सुल्तान की तलवार को ब्रिटिशर्स ब्रिटेन ले गए. इसी के साथ उन्होंने अपने साम्राज्य की रक्षा करते हुए, युद्ध लड़ते – लड़ते अपने प्राणों की आहुति दे दी और वे शहीद हो गए.
टीपू सुल्तान के रोचक तथ्य (Interesting facts About Tipu Sultan) –
टीपू सुल्तान के बारे में कुछ रोचक तत्थ इस प्रकार हैं-
  • टीपू आम तौर पर मैसूर के शेर के रूप में जाने जाते हैं और उन्होंने अपने शासन के प्रतीक (बाबरी) के रूप में इस जानवर को अपनाया.
  • टीपू सुल्तान ने हिन्दुओं और ईसाईयों को इस्लाम धर्म में शामिल कर, उनके मंदिरों और चर्चों को नष्ट कर दिया.
  • फ्रेंच द्वारा पहले रोकेट का अविष्कार किया गया, जोकि टीपू सुल्तान और उनके पिता हैदर अली की योजना पर आधारित था. जिसका उपयोग ब्रिटिश सेना के खिलाफ किया गया था.
  • इन्होंने बहुत ही कम उम्र में शूटिंग, तलवारबाजी और घुड़सवारी सीख ली थी और यही कारण था कि उन्होंने 15 साल की उम्र में अपने पिता का साथ देते हुए युद्ध में प्रदर्शन दिया.
  • टीपू सुल्तान की मृत्यु के बाद ब्रिटिशर्स उनकी तलवार लेकर, ब्रिटेन चले गए और इसे अपनी जीत की ट्रोफी समझ कर वहां के संग्रहालय में इसे स्थापित कर लिया.
  • टीपू सुल्तान ने मैसूर में नौसेना के एक भवन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके अंतर्गत 72 तोपों के 20 रणपोत और 62 तोपों के 20 पोत आते हैं.
  • ये भारत और पाकिस्तान में और कई क्षेत्रों में भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के नायक के रूप में प्रतिष्ठित हैं. हालांकि भारत के कई क्षेत्रों में इन्हें एक अत्याचारी शासक के रूप में भी माना जाता है.
  • भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी ने कहा कि टीपू सुल्तान दुनिया के पहले युद्ध रोकेट के प्रवर्तक हैं

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